गणेश चतुर्थी 10 लोकप्रिय गणेश भजनों से अपनी पूजा को और भी मंगलमय बनाएं

By Deepak jaiswar

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गणेश चतुर्थी भारत का एक ऐसा पवित्र त्योहार है, जो भगवान गणेश जी की उपासना और भक्तिभाव से भरा होता है। हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन देशभर में गणेश उत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है

और लोग उन्हें अपने घरों और मंदिरों में स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है, और भक्तगण उनकी कृपा पाने के लिए भक्ति-भावना से भरे हुए भजनों का सहारा लेते हैं। इन भजनों के माध्यम से हम अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और गणेश जी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

गणेश भजनों का महत्व

गणेश भजनों का हमारी संस्कृति में एक विशेष स्थान है। जब हम गणेश जी की आराधना भजनों के माध्यम से करते हैं, तो यह हमारी आत्मा को शांति और सुख प्रदान करता है। भजन न केवल हमें भगवान से जोड़ते हैं, बल्कि हमारे भीतर की सकारात्मक ऊर्जा को भी जागृत करते हैं। खासकर गणेश चतुर्थी के अवसर पर, ये भजन पूजा के माहौल को और भी पावन और भक्ति से भर देते हैं।

1. जय गणेश, जय गणेश देवा

यह भजन हर गणेश भक्त की जुबान पर रहता है। इसकी सरलता और भक्ति से भरे हुए शब्द भगवान गणेश की महिमा का गुणगान करते हैं। यह भजन पूजा की शुरुआत में गाया जाता है और भक्तों के दिलों में श्रद्धा उत्पन्न करता है।

2. गणपति बप्पा मोरया

“गणपति बप्पा मोरया” भजन गणेश चतुर्थी के दौरान हर कोने में गूंजता है। इसकी धुन और उत्साह भरे शब्द भगवान गणेश के प्रति हमारे अटूट विश्वास को दर्शाते हैं। इस भजन को गाने से पूरे माहौल में भक्ति की लहर दौड़ जाती है।

3. शेंदूर लाल चढ़ायो

यह भजन भगवान गणेश की मूर्ति पर शेंदूर चढ़ाने की प्रथा से प्रेरित है। इस भजन में गणेश जी की महिमा और शक्ति का वर्णन किया गया है। इसे सुनने से भक्तों को एक अलौकिक अनुभूति होती है और वे भगवान के आशीर्वाद की कामना करते हैं।

4. सुखकर्ता दुखहर्ता

यह मराठी भजन न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इसकी हर पंक्ति भगवान गणेश की अपार कृपा और उनके द्वारा दुखों को हरने की शक्ति का वर्णन करती है। यह भजन भक्तों के मन को शांति और आनंद से भर देता है।

5. गणेश गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र का महत्व सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है, और जब यह गणेश गायत्री मंत्र के रूप में गाया जाता है, तो इसकी शक्ति और भी अधिक बढ़ जाती है। यह मंत्र गणेश जी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है।

6. गजानन महाराज की आरती

गणेश चतुर्थी के अवसर पर आरती का विशेष महत्व होता है। गजानन महाराज की आरती के बिना गणेश पूजा अधूरी मानी जाती है। इस आरती के माध्यम से भक्त गणेश जी की स्तुति करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।

7. हे गणराज, मंगलमूर्ति

यह भजन गणराज यानी गणेश जी की स्तुति करता है। इसे गाते समय भक्तों के दिलों में श्रद्धा का संचार होता है और उनकी भक्ति प्रबल होती है। इस भजन की धुन सरल और मधुर है, जिससे भक्तगण इससे सहजता से जुड़ जाते हैं।

8. वक्रतुंड महाकाय

भगवान गणेश का यह श्लोक उनकी अनंत शक्तियों का वर्णन करता है। इसे गाते समय भक्त गणेश जी के अनुग्रह की कामना करते हैं और उनसे विघ्नों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। यह श्लोक नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने का सशक्त माध्यम है।

9. गणेश वंदना

यह भजन भगवान गणेश के प्रति हमारी समर्पण भावना को व्यक्त करता है। इसमें गणेश जी के रूप, गुण और उनकी दिव्यता का वर्णन किया गया है। यह भजन सुनकर भक्तों के मन में एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

10. गणपति की महिमा

इस भजन में गणपति बप्पा की महिमा का गुणगान किया गया है। इसे सुनकर मन में एक अलौकिक शांति का अनुभव होता है और भगवान गणेश की शक्ति का अहसास होता है। यह भजन भक्तों को उनके आशीर्वाद की अनुभूति कराता है।

गणेश चतुर्थी के भजनों का महत्व और प्रभाव

गणेश चतुर्थी के दौरान भजन गाना हमारे मन को शुद्ध और शांत करता है। भजनों का महत्व इस पर्व में और भी बढ़ जाता है, क्योंकि इनके माध्यम से हम भगवान गणेश के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को व्यक्त करते हैं। भजनों का संगीत और शब्द हमें आध्यात्मिक रूप से ऊर्जावान बनाते हैं और हमें भगवान गणेश के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

भक्ति से भरे हुए भजन न केवल पूजा को मंगलमय बनाते हैं, बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मकता का भी संचार करते हैं। गणेश जी की आराधना के समय भजन गाने से पूजा का महत्व और बढ़ जाता है, और हमें भगवान के साथ गहरा संबंध स्थापित करने का अवसर मिलता है।

गणेश चतुर्थी पर भजन सुनने का सही समय

गणेश चतुर्थी के दौरान सुबह और शाम के समय भजन सुनना सबसे उत्तम माना जाता है। सुबह की पूजा में गणेश जी के भजनों का समावेश करने से दिन की शुरुआत शुभ और मंगलमय होती है, जबकि शाम को भजनों के साथ आरती करने से पूजा पूर्ण होती है। भजनों का गायन हमें आंतरिक शांति और संतुष्टि का अनुभव कराता है और हमें आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करता है।

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